प्रदेश की आधे से ज्यादा देसी व विदेशी शराब दुकानों का कारोबार अब बड़े कारोबारियों के समूह संभालेंगे। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आबकारी नीति तय कर दी। इसमें बड़े कारोबारियों के समूहों को आधे प्रदेश का धंधा देने का प्रावधान किया गया है। इससे शराब के छोटे ठेकेदार धंधे से बाहर हो जाएंगे। नीति के मुताबिक भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में दो ग्रुपों के पास सभी दुकानें होंगी। बाकी 12 नगर निगमों में एक समूह ही कारोबार करेगा। ठेकों की वार्षिक फीस भी 25% बढ़ा दी गई है।
इससे सरकार को 2200 करोड़ रु. राजस्व मिलेगा। अभी प्रदेश में कारोबारियों के 1140 ग्रुप इस धंधे में हैं। अब इनकी संख्या एक तिहाई रह जाएगी। बहरहाल, कैबिनेट बैठक में मंत्रियों के विरोध के बाद यह तो तय हो गया कि अगले वित्तीय वर्ष में उप-दुकान नहीं खोली जाएंगी। शराब दुकानों की नीलामी से वर्ष 2019-20 में 8521 करोड़ खजाने में जमा हुए थे, इस बार 2020-21 यह राशि 10 हजार 700 करोड़ रुपए हो जाएगी।
ऐसे बाहर होंगे छोटे ठेकेदार
नीति के मुताबिक ई-टेंडर के साथ नीलामी से दुकानें मिलेंगी। 12 निगमों और 4 बड़े शहरों को छोड़ शेष 36 जिलों में पुरानी व्यवस्था लागू रहेगी, लेकिन उन्हें 25% शुल्क देना होगा। इन जिलों में नवीनीकरण का काम लॉटरी एवं ई-टेंडर (क्लोज बिड एवं ऑक्शन) से होगा। साफ है कि छोटे ठेकेदार बाहर हो जाएंगे।